1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद से पहली बार पुनः शुरू हुई ऐतिहासिक भारत-बांग्लादेश रेल लाइन

55 सालों के अंतराल के बाद, 1965 तक भारत और बांग्लादेश को जोड़ने वाली हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी ट्रेन लाइन पुनः शुरू की गयी है। मूल रूप से ब्रिटिश युगीन भारतीय रेलवे का हिस्सा रह चुके इस ऐतिहासिक मार्ग को क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु पुनः शुरू किया जा रहा है। यह रेल लाइन पश्चिम बंगाल, असम और बांग्लादेश को जोड़ेगी।

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हल्दीबाड़ी रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के उत्तरी कूच बिहार जिले (सड़क मार्ग से कोलकाता से लगभग 16 घंटे) में है, जबकि चिल्हाटी स्टेशन बांग्लादेश के निलफामारी जिले में स्थित है। एक मालगाड़ी के चलने से पूर्व दोनों बॉर्डर स्टेशन कल तक सेवारत नहीं थे। जल्द ही इस रूट पर पैसेंजर ट्रेनों को शुरू किया जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय  रेल लिंक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बांग्लादेशी समकक्ष शीला हसन द्वारा आयोजित एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन में किया गया:


यह रेल लाइन क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत के मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान के साथ 7 रेल संपर्क थे, जिनमें हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी लाइन भी शामिल थी। 2020 तक यह संख्या घटकर 4 रेल लिंक तक हो गई, लेकिन हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी मार्ग के शुरू होने से अब यह संख्या बढ़कर 5 हो गयी है।

The cross-border route: orange is northern Bengal, green is Bangladesh. Credit: @RailMinIndia/Twitter

Credit: @RailMinIndia/Twitter

भारतीय रेलवे ने बांग्लादेश सीमा तक पुरानी रेल पटरियों को बहाल करने के लिए 82.72 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। नए लिंक से दोनों देशों में मुख्य बंदरगाहों, शुष्क बंदरगाहों और भूमि सीमाओं तक पहुँच बढ़ेगी, जिससे सामाजिक विकास होगा। व्यवसाय एवं आम नागरिक को इससे लाभ की उम्मीद है।

इससे भारत में भी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि बांग्लादेशी पर्यटक दार्जिलिंग व सिक्किम के साथ ही भूटान व नेपाल जैसे स्थानों की यात्रा आसानी से कर पायेंगे।  

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