गाँधी जयंती 2023: चलो चलें, बापू के कदमों पर!

महात्मा गाँधी 1915 में दक्षिण अफ़्रीका के अपने संक्षिप्त प्रवास से लौटे, जिसके पश्चात उन्होंने देश की बुनियादी सच्चाई से दोबारा जुड़ने के लिए बड़े पैमाने पर यात्रा करने का फैसला लिया।

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इस गाँधी जयंती, हम आपको भारत भर में उनकी यात्रा से अवगत कराएँगे, ताकि हमें यह याद रहे कि उनके संघर्षों के परिणामस्वरूप ही हमें यह स्वतंत्रता प्राप्त हुई है।

1) राजकोट और पोरबंदर

यह दो शहर आपको उनके प्रारंभिक सालों से लेकर उनके किशोरावस्था तक के बारे में बहुत कुछ बतलाते हैं। राजकोट से लेकर पोरबंदर तक की ट्रेन यात्रा करने में आपको लगभग 5 घंटे का समय लगेगा।

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2) अहमदाबाद 

गाँधी जी के युवा काल के बारे में जानने के लिए पोरबंदर से निकलते ही आप सीधे अहमदाबाद की ओर प्रस्थान करें। उन्होंने अभिजात वर्ग से जुड़ने और आम लोगों के संघर्षों को करीब से जानने के लिए यहाँ लगभग एक दशक तक का वक्त बिताया।

3) प्रयागराज 

प्रयागराज पहुँचने पर आनंद भवन, जो पहले नेहरु का निवास स्थान हुआ करता था, ज़रूर जाएँ।

4)  वाराणसी 

इस स्थान की यात्रा के दौरान ही गाँधी के मन में आध्यात्म और आत्मिक मंथन जैसे विषयों की तरफ़ रुचि उत्पन्न हुई। सुबह-शाम की प्रार्थना, दीयों की लौ, मंदिर में बजती घंटियाँ, और दाह-संस्कार में जलती हुई आग अवश्य ही आपको प्राचीन काल में ले जाएगी।

5) बिहार

उत्तरी बिहार में स्थित मोतिहारी और बेतिया की छोटी-छोटी गलियों से अवश्य गुज़रे। चम्पारण जिले के नील के किसानों का गाँधीवादी आंदोलन सन 1917 में यहीं हुआ था।

6) कोलकाता

अपनी यात्रा का अंत, यहाँ स्थित गाँधी भवन (पूर्व नाम, हैदरी हवेली) पर करें जहाँ गाँधी ने 1947 के दंगों को समाप्त करने के लिए उपवास किया था।


आपकी यात्रा शुभ हो!